Posts

Showing posts from June, 2023

अद्भुत मूर्तिया

Image
अद्भुत मूर्तिया  यह कालिंजर दुर्ग में बने मंदिरो की मूर्तियां है । आप एक के बाद एक मूर्ति देख सकते है, आप हैरान रह जाएंगे, क्या इंसान इतना कामयाब भी हो सकता है की धरती पर ही इंद्र के राज्य जैसा स्वर्ग बना दे ??यह दुर्ग महाभारतकालीन ही है, विचित्र आकृतियां इसपर बनी है, अरब देश मे बनी महाभारतकालीन हिन्दू मूर्तियों तथा इस किले की मूर्तियों का मिलान कुछ कुछ हो जाता है।। किले का दुर्भाग्य  १२०२ ई ० में मूहम्मद गौरी के पालतू गुलाम अल्तमश के साथ कुतुबुद्दीन ऐबक ने कालिंजर दुर्ग को घेर लिया । यह दुर्ग परमार राजाओं की राजधानी था ,जिस समय कुतुबुद्दीन ने इसपर हमला किया, उस समय राजा परमिलदेव शासन कर रहे है । कुतुबुद्दीन और उसकी पूरी सेना को परमिलदेव ने मार भगाया था, ओर वह भी तब , जब कुछ ही महीनों पूर्व वह पृथ्वीराज से युद्ध कर आल्हा ऊदल को खोकर अपनी पूरी सेना का नाश करवा चुके थे । इतनी कमजोर स्तिथी में भी परमिल ने गौरी को हराया था । वास्तव में पृथ्वीराज चौहान के युद्ध अभियानों से देश को अपार हानि हुई थी, जिसमे उनके स्वयं के साथ ...

अंग्रेजो के परिवार ने कितना तानाशाही किया भारतीयों पर

Image
अंग्रेज अधिकारी का सेवा करता एक भारती (पूर्व1947) भारत में सेवा करने वाले ब्रिटिश अधिकारियों को इंग्लैंड लौटने पर सार्वजनिक पद/जिम्मेदारी नहीं दी जाती थी। तर्क यह था कि उन्होंने एक गुलाम राष्ट्र पर शासन किया है जिसकी वजह से उनके दृष्टिकोण और व्यवहार में फर्क आ गया होगा। अगर उनको यहां ऐसी जिम्मेदारी दी जाए, तो वह आजाद ब्रिटिश नागरिकों के साथ भी उसी तरह से ही व्यवहार करेंगे। इस बात को समझने के लिए नीचे दिया गया वाकया जरूर पढ़ें... एक ब्रिटिश महिला जिसका पति ब्रिटिश शासन के दौरान पाकिस्तान और भारत में एक सिविल सेवा अधिकारी था। महिला ने अपने जीवन के कई साल भारत के विभिन्न हिस्सों में बिताए, अपनी वापसी पर उन्होंने अपने संस्मरणों पर आधारित एक सुंदर पुस्तक लिखी। महिला ने लिखा कि जब मेरे पति एक जिले के डिप्टी कमिश्नर थे तो मेरा बेटा करीब चार साल का था और मेरी बेटी एक साल की थी। डिप्टी कलेक्टर को मिलने वाली कई एकड़ में बनी एक हवेली में रहते थे। सैकड़ों  लोग डीसी के घर और परिवार की सेवा में लगे रहते थे। हर दिन पार्टियां होती थीं, जिले के बड़े जमींदार हमें अपने शिकार कार्यक्रमों म...

गांव में 5 एकड़ में मकान शहर में 10 बाय 10 का किराएदार

Image
क्या ऐसी ही है हमारी जिंदगी  लड़के समय से पहले ही मर्द बन जाते है  इस कहानी में एक उम्र के बाद जिम्मेदारियां कितनी बढ़ जाती है यह घर से निकले हुए लौंडे है साहब, घर से निकले हुए लौंडे है ये, यह साले रोते नहीं हैं बस कमाते हैं रुकते नहीं है बस दौड़ते हैं साला इतना दौड़ते हैं इतना कमाते हैं कि साला इनके पास कुछ बचता ही नहीं है,₹20 के हवाई चप्पल से 4000 के बाद तक का सफर बाटा के जूते तक का सफर और फिर भी अपने गांव अपने वतन अपने घर लौटने के बाद गमछा और लुंगी पर ज़िंदा रहने वाले ये लौंडे है साहब। काश आपको समझा पाता कि घर से दूर रहना क्या होता है  गलियों के नवाब परदेश में मजदूर बन कर रह जाते है  हीरो वाली २४ इंच की साइकिल से चलने वाले लौंडे पल्सर १५० पर भी तन्हा हो जाते है  पर्व और त्योहारों में जब घर पर तरह तरह के पकवान बनते हैं तो दाल भात चोखा खाकर ,मां से झूठ बोल कर उसे पूरी सब्जी का नाम देकर रह जाते है उम्र के इस मोड़ पर अचानक से लड़के बड़े हो जाते है , छोटी बहनों से लड़ना छोड़ उनकी शादी के लिए पैसे इक्कठा करने लगते है , लौंडे से ल...