आजकल के कॉलेज (व्यंग) कविता
आज कल के कॉलेजों में गजब का खेल होता है। अध्यापक बच्चों से डरा बच्चा खुद को शेर होता है। मां बाप के मेहनत को छोड़ खुद ही ढेर होता है। पढ़ाई लिखाई में ढिलाई मस्ती और मौज होता है। आजकल की कॉलेजों में गजब का खेल होता है। मास्टर का मजा लेने में क्या खूब मौज होता है। अपना मजाक बनने पर चिड़चिड़ा खूब होता है। जरा सा व्यंग करे कोई गुस्सा खूब होता है सहपाठियों को परेशान करने में गजब का मौज होता है आजकल की कॉलेजों में गजब का खेल होता है गर्व से कहो हम भारती है सोशल मीडिया की बातें क्लास में खूब होता है। इंस्टा, फेसबुक, फैन, फॉलोइंग की चर्चा भी खूब होता है कौन कितना कॉमेडी कर सकता है इस पर जोर होता है। परसेंटेज नीचे से कितना आया इस पर होड़ होता है। आजकल की कॉलेजों में गजब का खेल होता है। अध्यापक बच्चों से बच्चा खुद को शेर होता है चलो बाहर मिलते हैं रोब बेजोड़ होता है। खलनायक बनने का शौक बेजोड़ होता है परिवार की परवाह न कर मारपीट पर जोर होता है आज कल के कॉलेजों में गजब का खेल होता है अध्यापक बच्चों से डरा बच्चा कुछ शेर होता है ##@ अनुभव यादव*ब...