हिंद देश की धरा के खातिर
हिंद देश के वसुंधरा खातिर कितनों विरो ने अपना प्राण दिया हिंद देश के वीरो ने दुश्मन का सीना चिर दिया वीरो ने गुलामी की जंजीरों को अपने पराक्रम के बल तीनको में ही तोड़ दिया देश के खातिर जज्बाजो ने हंसकर फांसी फंदे को चूम लिया दुनिया शोध बैठा रही है भारत मां के बेटों पर सर कटवा सकते हैं शेर पीछे हटना मंजूर नहीं है हिंद देश के वसुंधरा खातिर कितनों ने गोली खाई थी कितनी माओ ने अपने लालो को बलवेदी पर चढ़ाई थी गुलामी की जंजीरों में मजे से रहना मंजूर नही था अंग्रेजो का सीना चीरू हरदम उनका खून खौलता हिंद देश के वसुंधरा खातिर कितने वीरो ने अपना प्राण दिया सर फरोशी की तमन्ना उनके अंदर जोश भरी थी विरो के दहाड़ के आगे पर्वत भी थर्रा जाय दुश्मन की अवकात ही क्या शेरो के आगे टिक जाय विरो की कहानी लिखते अपनी कलम भी ऐसे डट जाय मानो नेता जी की सेना में बंदूको को खूब चलाए